बुधवार, 21 अक्तूबर 2020

प्रकृति से भी रिश्ता निभाना है!

Hi Beautiful & Peaceful Souls,

ईश्वर ने मनुष्य को इसलिए बनाया था ताकि वो केवल अपना ही नहीं बल्कि ईश्वर की बनाई सृष्टि का ख्याल रख सके। लेकिन आज मुझे अगर सृष्टि के किसी प्राणी से सबसे ज्यादा डर लगता है तो वो है मनुष्य।

एक समय था जब मनुष्य यज्ञ करता था ताकि वृष्टि उत्पन हो और उस वृष्टि से शुद्ध जल उत्पन हो और उस जल से नदियां मार्गी हो सके। शुद्ध घृत और हवन पदार्थ के गुणों से युक्त शुद्ध जल सूर्य कि किरणों के संपर्क में आकर ओर शुद्ध हो जाता है। इसी जल को पीकर गाऊ माता दिव्य गुणों से युक्त शुद्ध दूध दे सके। और इसी औषिधि रूपी जल से खेतों में उगे हुए अन्न को खाकर हम निरोगी रहे।

इसलिए हमारी प्राचीन सभ्यता में नदियों को पूजा जाता था। लेकिन आज हम क्या कर रहे है। यज्ञ तो दूर की बात हम नदियों में कचरा डालकर उन्हें और दूषित कर रहे है। तो कैसे सोच सकते है कि हमारे सन्तानो का भविष्य सुंदर है।

मेरा ऐसा मानना है कि covid एक biological weapon है। इस समय चाहे धनवान हो या गरीब सबकी एक ही विडम्बना है क्यूंकि कोई इलाज नहीं है। सोचिए नदियों के इस गंदे पानी को पीकर आने वाले समय में क्या होगा? महंगे से महंगा RO लगवाने से तो बात नहीं बनती। आप ने तो RO लगवा लिया लेकिन गरीब और अन्य जीव जंतु का क्या? इसलिए जितना हो सके हमे eco-friendly products की तरफ ध्यान देना चाहिए। और यज्ञ जरूर करना चाहिए जितना भी हमसे हो सके।

वेदों में भी लिखा है कि जो मनुष्य यज्ञ करता है वो ही ईश्वर का सच्चा पुत्र है। ईश्वर ने हमें सबसे पहले प्रकृति से रिश्ता निभाने को कहा है। और इस प्रकृति का ख्याल रखने को कहा है। ये सब करने में अगर हम थोड़ा भी योगदान नहीं दे पाए तो काहे के इंसान।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विवेक चूड़ामणि : क्या पूजा पाठ और शुभ कर्म करने से मुक्ति मिलती हैं ?

नमस्कार ! विवेक चूड़ामणि भगवान श्रीशङ्कराचार्य के ग्रंथो में एक प्रधान ग्रन्थ है |  हमे बाल्यावस्था से यही सिखाया जाता हैं कि पूजा-पाठ, शुभ क...