Hi Beautiful & Peaceful Souls,
सत्वगुण, रजोगुण और सत्वगुणी, रजोगुणी मनुष्य के लक्षण जानने के बाद (https://satvagunavidhushi.blogspot.com/2020/10/blog-post_12.html) (https://satvagunavidhushi.blogspot.com/2020/10/blog-post_14.html) आज हम तमोगुण और तमोगुणी मनुष्य के बारे में जानेगे, जो इस प्रकार हैं|
यत्तु स्यान्मोहसंयुक्तमव्यक्तं विषयात्मकम |
अप्रतर्क्यंविज्ञेयं तमस्तदुपधारयेत ||
लोभः स्वप्नोंSधृतिः क्रौर्यं नास्तिक्यं भिन्न वृतित्ता |
याचिष्णुता प्रमादश्च तामसं गुणलक्षणम ||
यत्कर्म कृत्वा कुर्वश्च करिष्यंश्चैव लज्जति |
तज्ज्ञेयं विदुषा सर्वं तामसं गुणलक्षणम ||
आत्मा में तमोगुण प्रधानता की पहचान- जो मोहयुक्त माने सांसारिक पदार्थो में फसा हुआ हो, विवेक का न होना माने भले बुरे की पहचान न होना, इन्द्रियों के वश में हो, तर्क वितर्क से परे हो, और विचारो में स्पष्ट न हो, लालच की अधिकता, अत्यधिक आलस्य और निंद्रा आना, धैर्य का अभाव, क्रूरता का आचरण, परमात्मा, पुनर्जन्म के आस्तित्व में अविश्वास, बुरा आचरण करना, दुसरो से धन और पदार्थ मांगने की प्रवृति होना, और किसी कार्य को बिना सावधानी के करना, तमोगुण प्रधान मनुष्य के लक्षण है| मनुष्य की आत्मा किसी कार्य को करते हुए लज़्ज़ा का अनुभव करे वो सब कार्य तमोगुण का लक्षण है|
अब प्रश्न ये उठता है कि तमोगुण की प्रधानता कितनी है उसके अनुसार ही उसके लक्षण और कर्म होते है और परजन्म भी प्राप्त होता है| जिसे गौण गतियाँ कहा जाता है| जो इस प्रकार है|
चारणाश्च सुपर्णाश्च पुरुषाश्चैव दाम्भिकाः |
रक्षांसि च पिशाचाश्च तामसीषूतमा गतिः ||
अ. उत्तम तमोगुणी - जो उत्तम तमोगुणी होते है वे कविता या दोहा बनाकर मनुष्य की प्रशंसा करते है, अपने आप अपनी प्रशंसा करने वाले भी होते है, राक्षस जो हिंसक होते है, पिशाच जो अनाचारी, मद्यपान और मलिन रहते, और सुन्दर पक्षी का भी जन्म पाते है|
हस्तिनश्च तुरंगांश्च शूद्रा म्लेच्छाश्च गर्हिताः |
सिंहा व्याघ्रा वराहाश्च मध्यमा तामसी गतिः ||
आ. मध्यम तमोगुणी - जो मध्यम तमोगुणी होते है वे हाथी, घोड़ा, सिंह, शेर, वराह और शूद्र का जन्म पाते है|
स्थावराः कृमिकीटाश्च मत्स्याः सर्पाः सकच्छपाः |
पशवश्च मृगाश्चैव जघन्या तामसी गतिः ||
इ. अधम तमोगुणी- जो अत्यन्त तमोगुणी होते है वे वृक्ष, कृमि (सुक्ष्म जीव), कीड़े, मतस्य, सर्प, कछुआ, पशु और मृग का जन्म पाते हैं|
विशुद्ध मनुस्मृति के इस ज्ञान से हम जान सकते है कि हमारे अंदर कितना तमोगुण प्रधान है| और इससे यह भी पता लगा सकते है की हम अपने जीवन को किस ओर ले जा रहे है और उसके क्या परिणाम होंगे|
देवत्वं सात्विका यान्ति मनुष्यत्वं च राजसाः |
तिर्यक्त्वं तामसा नित्यमित्येषा त्रिविधा गतिः ||
इस प्रकार सत्वगुणी मनुष्य परजन्म में दिव्य गुणो से युक्त विशेष मनुष्य का जन्म पाते है| रजोगुणी मनुष्य साधारण मनुष्य का जन्म पाते है और तमोगुणी मनुष्य पशु-पक्षी, किट-पतंग, और वृक्ष-वनस्पति जन्मो को प्राप्त करते है|
उम्मीद करते है कि मेरे लेख सत्वगुणी, रजोगुणी और तमोगुणी मनुष्य के लक्षण बताने में सक्षम रहे है और ये भी बताने में सक्षम रहे कि कौन से अच्छे कर्म हमे करने है ताकि हम परजन्म में साधारण मनुष्य, पशु पक्षी, किट पतंग, वनस्पति और सूक्ष्म जीव का जन्म न ले| नहीं तो हमारे कर्मो के परिणाम हमे भुगतने पड़गे और फिर हम जीवन मृत्यु के बंधन से मुक्त नहीं होंगे| क्यों न हम सब ऐसे कर्म करे जिससे हम सब दिव्य गुणों के मनुष्य का जन्म पा सके और मनुष्य जन्म को सार्थक कर सके| कोशिश हमें ही करनी है संसार अपने आप सुधरेगा नहीं |
~~ विशुद्ध मनुस्मृति
Your's Sincerely
Purnima Ghai
References:
Book: Vishudh Manusmriti
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